उसे ही नहीं पता
वो क्या करना चाहती है
वो लड़की जो खड़ी है मेरे सामने,
दिखने में बिलकुल मेरे जैसी,
पर काफी अलग ,
वो अपनी ही दुनिया में जीती है,
मैं तो इस दुनिया में जीती हूँ,
वो लिखना चाहती है
पुछु उसको के क्या?
मालुम नहीं वो कहती है,
अपनी ही धुन में रहती है,
थोड़ी नादान है,
और बेफिकर भी,
कभी कभी लगता है
वो खुश है वहाँ अंदर ही,
पर आँखों को भी तो भ्रम होता है,
अंदर से वो ही तोड़ रही है
तभी तो देखो दरारे है इसपे
दरारों से आईना टूट जाएगा,
बहार आएगी एकदिन
और उड़ जायेगी
आईने में खड़ी वो लड़की.
- Disha Joshi
वो क्या करना चाहती है
वो लड़की जो खड़ी है मेरे सामने,
दिखने में बिलकुल मेरे जैसी,
पर काफी अलग ,
वो अपनी ही दुनिया में जीती है,
मैं तो इस दुनिया में जीती हूँ,
वो लिखना चाहती है
पुछु उसको के क्या?
मालुम नहीं वो कहती है,
अपनी ही धुन में रहती है,
थोड़ी नादान है,
और बेफिकर भी,
कभी कभी लगता है
वो खुश है वहाँ अंदर ही,
पर आँखों को भी तो भ्रम होता है,
अंदर से वो ही तोड़ रही है
तभी तो देखो दरारे है इसपे
दरारों से आईना टूट जाएगा,
बहार आएगी एकदिन
और उड़ जायेगी
आईने में खड़ी वो लड़की.
- Disha Joshi