Wednesday 15 June 2011

no title again.

क्या मांगू अब के मेरे पास तू है,
मेरे लिए तू मेरा खुदा हुबहू है.

ये मौसम,बहरे, तुम्हिसे सुकून है,
तनहैका आलम, या तेरी जुस्तजू है

न कोई तमन्ना, न कोई आरजू है,
हर ज़र्रे ज़र्रे में तेरी गुफ्तगू है

चाहत है तुजसे, रहत भी तू है,
तुझिसे जुडी ये मेरी आबरू है.

क्या मंगू अब के मेरे पास तू है,
मेरे लिए तू मेरा खुदा हुबहू है..
© D!sha. :)

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