Sunday 18 December 2011

ghazal.

खामोश निगाहों में छिपे ये राज़ वोही रहेंगे,
इस सफ़र-ऐ-मोहोब्बत में मेरे साथ वोही रहेंगे .

यूँहीं शेर-ओ-ग़ज़ल में जिंदगी समां जायेगी,
में रहूँ ना रहूँ मेरे अलफ़ाज़ वो ही रहेंगे.

दिल में छुपे कुछ लम्हें जो दिल के करीब है,
बर जाएगा ये दिल पर हमराज़ वोही रहेंगे.

कुछ ना मिले बस उनका साथ मिले हमें,
सबकुछ मिले जिंदगी में पर नाज़ वोही रहेंगे.

ये जिंदगी ठीक है मिली है जीने के लिए दिशा,
पर जिंदगी में जिंदगी से भी खास वोही रहेंगे.

© D!sha Joshi.

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