Sunday 15 December 2013

ढाबा ,
2 cutting
long drives
बरसो बाद मिलने का अहसास,
आँखों से बरास्ता प्यार,
पुरानी, नयी, पगली समझदार,
हर तरह कि बातें,
कभी न खत्म हो ऐसा एक लम्बा रास्ता,
बहती जा रही नदी,
पेड़, पौंधे, पंछी,
सूरज कि किरणे,
बादलो कि छाँव,
sunrise , sunset
under bridge , over bridge
किस्से, कहानिया, नादानीया
मनमानियां,
सबसे ऊपर,
कुदरत कि महरबानिया,
confusion , confirmation
एक ख़ास किसम का attention
इन्ही पालो के बिच में
कहीं न कहीं,
उसके पास मैं
मुझको छोड़ आयी,
मुझको छोड़ उसकी यादो को
अपने साथ मोड़ आयी .

(C) D!Sha Joshi.
(11/12/13)

No comments:

Post a Comment